भरतपुर जिले का अलग कर नया जिला डीग गठित किया गया है जिसका गुख्यालय डीग होगा। नवगठित डीग जिले में 9 तहसील ( डीग, जनूथर, कुम्हेर, रारह, नगर, सीकरी, कामां जुरहरा, पहाड़ी) है।
New District DEEG Map 2024

डीग जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय
- घोषणा-17 मार्च, 2023
- मंत्रिमण्डल मंजूरी-04 अगस्त, 2023
- अधिसूचना जारी-06 अगस्त, 2023
- अधिसूचना लागू-07 अगस्त, 2023
- स्थापना दिवस-07 अगस्त, 2023.
- उद्घाटनकर्ता-विश्वेंद्र सिंह (पर्यटन मंत्री)
- किस जिले को तोड़कर बनाया- भरतपुर
- प्रथम कलेक्टर-शरद मेहरा
- प्रथम पुलिस अधीक्षक-बृजेश ज्योति
- संभाग-भरतपुर संभाग के अन्तर्गत
- सीमा-02 जिले (भरतपुर एवं अलवर)
- प्राचीन नाम-दीर्घापु
डीग जिले का सम्पूर्ण भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय
- डीग प्राचीन नाम :- दीर्घापुर (स्कंद पुराण में)
- डीग का उपनाम (1) जलमहलों की नगरी, (2) फव्वारों की नगरी, (3) 84 कोसी बृज क्षेत्र
- डोग बहिवर्ती जिला है, यह अन्तर्राज्यीय सीमा बनाता है, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा नहीं बनाता है।
- डीग दो जिलों व दो राज्यों के साथ सीमा लगाता है।
- पड़ौसी जिले (2): (1) अलवर, (2) भरतपुर
- पड़ौसी राज्य (2): (1) हरियाणा, (2)
- उत्तर प्रदेश
- स्कंद पुराण के अनुसार डीग का प्राचीन नाम दीर्घपुर मिलता है।
- औरंगजेब की मृत्युपरांत जयपुर नरेश राजा जयसिंह ने 1722 में ठाकुर बदनसिंह को डीग का राजा बना दिया तथा सवाई जयसिंह ने बदनसिंह को ब्रजराज की उपाधि दी।
- .ठाकुर बदनसिंह जाट (सिनसिनवार कौम गौत्र के) के शासन काल में ही कुम्हेर, डीग एवं भरतपुर के किलों का निर्माण करवाया गया।
- ठाकुर बदनसिंह की मृत्युपरांत महाराजा सूरजमल जाट ने अपने राज्य का विस्तार इटावा, नारनोल, वल्लभनगर तथा तोहनगीर तक कर दिया।
- कालान्तर में जवाहर सिंह की मृत्युपरांत भरतपुर जाट शक्ति का पतन होने लगा। मोहम्मद अली
- की मेव के नेतृत्व में भरतपुर एवं अलवर के मेव किसानों ने 1932 ई. में मेव किसान आंदोलन चलाया।
- उद्गम – उदयनाथ की पहाड़ियाँ (थानागाजी • तहसील) जिला- अलवर।
- प्रवाह क्षेत्र 3 जिले (अलवर, डोग, भरतपुर)
- रूपारेल नदी पर सीकरी बाँध, डीग जिले में बना हुआ है।
- . रूपारेल नदी के किनारे डीग के जलमहल स्थित है।
- रूपारेल नदी पर भरतपुर में मोती झील है।
- मोती झील का निर्माण महाराजा सूरजमल ने करवाया। मोती झील को भरतपुर की जीवन रेखा कहा जाता है। यह झील नीलहरित शैवालों के लिए प्रसिद्ध है।
- रूपारेल नदी के किनारे, नोह सभ्यता भरतपुर में है। यह लौहयुगीन सभ्यता है।
- रूपारेल की सहायक नदी कुकुंद है जिस पर बंध बारेठा बाँध (भरतपुर) बना है।
- गुड़गाँव नहर डीग जिले के जुरहरा तहसील से प्रवेश करती है जो राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना है।
- सफेद संगमरमर की मूर्तियां बनाने का काम डीग जिले के सीकरी व कामां तहसीलों में होता है।
- सन् 1985 में डीग गोलीकांड (भरतपुर के महाराजा मानसिंह की मृत्यु) के कारण राजस्थान के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने 23 फरवरी 1985 को इस्तीफा दिया था।
- भेड़ की नस्ल
- यह नस्ल राजस्थान के मेवात क्षेत्र में पायी जाती हैं।
- डीग मत्स्य संघ का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नगर है।
- यह नगर भव्य जल महलों के लिए प्रसिद्ध है।
- डोग को जलमहलों की नगरी भी कहा जाता है।
- डीग के जल महलों का निर्माण (1755 ई. में शुरुआत) बदनसिंह जाट (चूड़ामन का भतीजा)
- निर्माण पूर्ण (1755 से 1763 के मध्य) महाराजा सूरजमल जाट
- नोट:- डीग के जल महलों में सबसे बड़ा व भव्य महल – गोपाल भवन
- किशन भवन, नन्द भवन, सूरज भवन, सावन- भादो महल, कुश्ती महल, केशव भवन, हरिदेव भवन
- राजस्थान में नौटंकी के जनक डोग) भूरीलाल (जिला-
- कामां (डोग) के नत्थराम और गिरीराज प्रसाद कामा की नौटंकी मण्डली विख्यात रही है।
- वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
- .अन्य गिरीराज नाथूलाल कामां (जिला-डीग)
- – इन्होंने नौटंकी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी। •
- मेवात क्षेत्र में उप्पाली ख्याल, भुतनी ख्याल, हुंरगे • ख्याल आदि भी प्रचलित हैं।
- डीग में हुरगो का आयोजन होली के बाद पंचमी से लेकर अष्टमी तक किया जाता है।
- हुरगा महोत्सव में स्त्री पुरुष स्वांग धारण करते हैं।
- डीग क्षेत्र में रासलीला, कृष्णलीला, स्वांग और सवारी नाट्य भी प्रचलित है। इस क्षेत्र में जुरहरा • (डोग) नामक स्थान की रामलीला सवारी प्रसिद्ध है। ब्रज महोत्सव डीग फरवरी माह होली के अवसर पर आयोजित। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण • लीला के आयोजन के लिए प्रसिद्ध स्थान डीग है।
- ब्रज यात्रा मेला डीग
- नोट:- डोग, भगवान कृष्ण के 84 कोस बृज क्षेत्र
- के परिक्रमा पथ मथुरा-डीग मार्ग पर स्थित है।
- बम नृत्य (बम रसिया)
- बम नृत्य केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है।
- यह क्षेत्रीय नृत्य है। बम का अर्थ बड़ा नगाड़ा
- क्षेत्र डीग, भरतपुर, अलवर (मेवात क्षेत्र)
- होली पर पुरुषों द्वारा समूह में नृत्य किया जाता है
- तथा रसिया नामक गीत गाया जाता है।
- बम नृत्य में नगाड़ा वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
- महाराजा सूरजमहल (जाटों का प्लूटो)
- सूरजमहल एकमात्र ऐसे राजा थे, जो दोनों हाथों से तलवार एवं तीर चलाना जानते थे।
- यह जाट साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली राजा थे।
- 1733 ई. में सूरजमल ने भरतपुर दुर्ग का निर्माण करवाया।
- सूरजमल ने डीग में कृष्ण विलास महल का निर्माण करवाया था।
- महाराजा सूरजमल के समय पानीपत का तीसरा युद्ध मराठों व अहमद शाह अब्दाली के मध्य हुआ। महाराजा सूरजमल ने 12 जून, 1761 ई. को आगरा किले पर अधिकार कर लिया।
- एक अफगान सैनिक सैयद मुहम्मद खान बलूच ने गाजियाबाद के आसपास राजा सूरजमहल की हत्या कर दी।
- भूतपूर्व मत्स्य संघ में अब 6 जिले : (1)
- अलवर, (2) भरतपुर, (3) धौलपुर, (4) करौली, (5) डीग, (6) खैरथल-तिजारा। (आंशिक कोटपुतली-बहरोड़ जिला )
- राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में मत्स्य संघ का गठन हुआ।
- अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर को मिलाकर 28 फरवरी 1948 को मत्स्य संघ का गठन किया गया।
- मत्स्य संघ का उद्घाटन 18 मार्च 1948 (भरतपुर के लौहागढ़ दुर्ग में)
- उद्घाटनकर्ता – एन.वी. गोडगिल मत्स्य संघ का नामकरण के.एम. मुंशी ने किया।
- मत्स्य संघ की वार्षिक आय 184 लाख
- राजधानी अलवर
- प्रधानमंत्री – शोभाराम कुमावत (अलवर)
- राजप्रमुख उदयभान सिंह (धौलपुर)
- उपराज प्रमुख गणेश पाल देव (करौली)
- उप प्रधानमंत्री जुगल किशोर चतुर्वेदी (भरतपुर)
- नोट :- जुगल किशोर चतुर्वेदी को राजस्थान का
- नेहरू कहा जाता है। मत्स्य संघ का राजस्थान में विलय 5वें चरण (15 मई, 1949) में हुआ।
- गो वंश प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र
- (1) कुम्हेर प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र डोग
- केन्द्रीय पशु प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र – सूरतगढ़ (2)(गंगानगर)
- (3) नागौर प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र नागौर
- डग अनुसंधान केन्द्र – झालावाड़ ( 4)
- (5) गो वत्स परिपालन केन्द्र नोहर (हनुमानगढ़
- सावन भादो झील-अचलगढ़ (सिरोही)
- सावत भादो नहर परियोजना कोटा
- • सावन भादो झरना जोधपुर
- • सावन भादो कढाईयां देशनोक (बीकानेर)
- कुम्हेर
- अन्य स्थल डीग में
- . चार बाग, रूप सागर, नूरजहां का झूला, उद्यान भवन (सफेद बालू पत्थरों से निर्मित), देवल महल (काले संगमरमर से निर्मित)
- कुम्हेर की स्थापना 1704 में एक जाट सरदार कुम्भ ने की।
- कुम्हेर दुर्ग – कुम्हेर भरतपुर शासकों की राजधानी रहा।
- किशोरी महल – कुम्हेर (डोग)
- महाराजा सूरजमल ने मुगलों की सेना को इसी स्थान पर हराया (1754 ई.)।
- रारह तहसील (डीग)
- नोट :- जेम्स फर्ग्यूसन ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ इण्डियन एवं ईस्टर्न आर्किटेक्चर में डीग के
- राजस्थान की प्रथम कैशलैस पंचायत बनी।
- रारह वर्तमान में तहसील है।
- कामां महाभारत काल से भी पूर्व स्थापित नगर था।
- ब्रज मण्डल के 12 पवित्र स्थलों में से एक।
- इंपीरीयल गजेटीयर में कामां नाम कामसैन नामक शूरसेन शासक से जोड़ा गया है।
- कामां (जिला-डीग)
- स्थापत्य के नमूनों का उत्कृष्ट कोटी का बताया। डीग के जलमहल अपनी विशालता, शिल्प सौन्दर्य
- तथा मुगल शैली के सुन्दर उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। नोट :- डीग के जलमहलों में स्थित सिंहासन काले संगमरमर से निर्मित है।
- डीग का किला
- निर्माण 1730 ई. में महाराजा सूरजमहल जाट ने। •
- महाराजा सूरजमल को जाटों का प्लूटों तथा अफलातून
- कहा जाता था। नोट :- आगरा किले से लूटी हुई तोपें डीग के किले में स्थित है।
- डीग पैलेसे संग्रहालय-डीग
- जहाँगीर के महल-डीग जिला
- मुगल मीर बख्शी मुहम्मद शफी की कब्र डीग के किले में।
- नोट :- राजस्थान का पर्यटन की दृष्टि से महल
- एवं फव्वारों के लिए प्रसिद्ध नगर/जिला डीग है।
- नोट :- डीग भरतपुर के रियासती शासकों की प्राचीन राजधानी रही थी।
- डीग का युद्ध
- 13 नवम्बर 1804 को मेजर जनरल फ्रेजर एवं • यशवंतराव होल्कर (मराठा) के मध्य हुआ, महाराजा रणजीत सिंह ने मराठों का साथ दिया।
- . युद्ध का परिणाम जाट व मराठा विजय
- कुम्हेर (जिला-डीग)
- प्राचीन नाम – कुबेरपुर
- ब्रज यात्रा मेला – माघ कृष्ण द्वादशी से माघ शुक्ल द्वादशी।
- 9वीं सदी के एक अभिलेख में इसका नाम काम्यक मिलता है।
- गोकुल चन्द्र मंदिर कामां (डीग) वल्लभ संप्रदाय से संबंधित ।
- मदन मोहन जी मंदिर कामां (डीग) वल्लभ सम्प्रदाय
- गंगा दशहरा मेला कामां (डीग) ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी को मेला भरता है।
- भोजन थाली का मेला – कामां (डीग) भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को मेला भरता है।
- कामेश्वर महादेव मंदिर कामां (डीग) नोट: कामां (डीग) में एक प्राचीन काल के मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसे चौरासी खम्भा
- मंदिर कहा जाता है। कामां (डीग) लम्बे समय तक आमेर के कच्छवाहा शासकों के अधीन रहा था।
- कृष्ण जन्मोष्टमी महोत्सव – डीग जिला
- सांस्कृतिक विरासत
- मेवात क्षेत्र में हाथरस शैली की नौटंकी प्रचलित
- है। इसमें सारंगी, ढोलक, शहनाई, ढपली आदि
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