Phalodi District History Culture & Geography || Phalodi Jila Darshn 2024

आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के नवसृजित फलोदी जिले के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के नए फलोदी जिले से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे-  जिले का क्षेत्रफल, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र,फलोदी जिले का मानचित्र,  जिले की सीमा,  District Map,  District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

 यह जिला नमक नगरी के नाम से जाना जाता हैं, यहाँ का नमक उद्योग प्रसिद्ध हैं यहाँ राज्य का सबसे बड़ा सोलर पार्क भडला स्थित है यह सबसे शुष्क जिला है यह भारत के सबसे गर्म स्थानों में से एक हैं बाप और लोहावट फलोदी जिले के बडे़ शहर हैं।

फलोदी जिले में विधान सभा सीटे

  1. फलोदी 
  2. लोहावट 

जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

  • घोषणा-17 मार्च, 2023
  • मंत्रिमण्डल मंजूरी-04 अगस्त, 2023
  • अधिसूचना जारी-06 अगस्त, 2023
  • अधिसूचना लागू-07 अगस्त, 2023
  • स्थापना दिवस-07 अगस्त, 2023
  • उ‌द्घाटनकर्ता-बी.डी. कल्ला (शिक्षा मंत्री) एवं शाले मोहम्मद (अल्प संख्यक मामलात मंत्री)
  • किस जिले को तोड़कर बनाया-जोधपुर व जैसलमेर
  • प्रथम कलेक्टर-जसमीत सिंह संधू
  • प्रथम पुलिस अधीक्षक-विनित कुमार बंसल
  • संभाग-जोधपुर संभाग के अन्तर्गत
  • सीमा-04 जिले (जोधपुर ग्रामीण, बीकानेर, जैसलमेर, नागौर)एवं पाकिस्तान के साथ
  • प्राचीन नाम-1. विजयपुर
  • आकृति-ऑस्ट्रेलिया के समान

District History Culture & Geography के महत्वपूर्ण जानकारी

  • राज्य का सबसे बड़ा सोलर पार्क-भड़ला (बाप) फलोदी
  • खीचन गाँव – कुरजा पक्षी एवं गिद्ध प्रजनन हेतु प्रसिद्ध ।(फलोदी )
  • खारे पानी की झील-फलोदी
  • बेगंटी गाँव – हड़बूजी(फलोदी )
  • सौर ऊर्जा में प्रथम स्थान-फलोदी
  • राजस्थान का सबसे शुष्क जिला-फलोदी 
  • मेहाजी मांगलिया का मंदिर- बापिणी(फलोदी )
  • पाबूजी का शहीद स्थल-देचू (फलोदी )

खारे पानी की झीलें –

1. बाप झील

2. फलौदी झील

  • रन/टाट/प्लाया यह परम्परागत जल संरक्षण की प्राकृतिक विधि है। मरूस्थल में दलदली लवणीय व अनुपजाऊ भूमि को रन/टाट कहते हैं। जहाँ पर अस्थायी झीलों का निर्माण होता है। जैसे –

प्रमुख रण – 1. बाप रन (फलौदी)

2. फलौदीरन (फलौदी)

3. तालछापर व पड़िहारा रन (चूरू) •

4. बरमसर, भाकरी, कनौड, पोकरण (जैसलमेर),

5. थोब रन (पचपदरा – बालोतरा जिला)

नोट – पश्चिमी मरूस्थल प्रदेश में खारे पानी की झीले पायी जाती है। जिन्हें डांड कहा जाता है।

मेघड़ा सर तालाबबाप (फलौदी)

जम्बोलाव सरोवर – बाप (फलौदी) तथा शिवसर, रानीसर, रावरा तालाब फलौदी जिले में है।

बाप बोल्डर – फलौदी जिले में बाप नामक स्थान पर पर्मियन – कार्बोनिफेरस युग की हिमानीकृत चट्टानों के अवशेष मिले हैं। जिसे बाप बोल्डर कहा जाता है।

*फलौदी नदी विहीन जिला है।

 

भड़ला (फलौदी) –

  • राजस्थान का सबसे बड़ा सौलर पार्क।
  • शिलान्यास 21 अगस्त 2013 क्षमता 2245 मेगावाट। *
  • यह भारत का भी सबसे बड़ा सोलर पार्क है। यह सोलर पार्क 4 चरणों में निर्मित है।

 

नोख सोलर पार्क (925 मेगावाट)- फलौदी ला जिल में।

बीथड़ी पवन ऊर्जा संयत्र – फलौदी जिले में है।

*गोमट नस्ल के ऊँट राजस्थान में भार और बौझा ढोने के लिए प्रसिद्ध है। यह नस्ल फलौदी जिले में पायी जाती है।

राजस्थान का राज्य पशु (पालतु/घरेलू श्रेणी) – ऊँट

राज्य पशु का दर्जा – 19 सितम्बर 2014

ऊँट का वैज्ञानिक नाम – कैमलस ड्रोमेडेरियस

 

खींचन गाँव (जिला फलौदी)

  • यह गाँव प्रवासी पक्षी कुरजां (डेमोसिल क्रेन) के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह पक्षी सर्दियों में यूरोप से यहाँ आता है।
  • फलौदी में एक हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है। (भारतीय वायुसेना का छठा एयरबेस हाल ही में स्थापित।)
  • फलौदी जिले में NH-11 एवं NH-125 गुजरते है।
  • फलौदी, भारत का सबसे गर्म स्थल है।
  • नारवाखिंचीयान गाँव (फलौदी जिला) यहाँ राजस्थान का दूसरा सीमन बैंक प्रस्तावित है।

 

फलौदी इतिहास

  • पृथ्वी राज चौहान के समय इसे विजयपुर कहा जाता था।
  • सिंधु जी कला ने 1458 में लटियाल माता का मंदिर बनवाया था तथा सूजा (जोधा का पुत्र) ने सिंधु कला के सहयोग से 1459 में दुर्ग की नींव रखी।
  • दुर्ग निर्माण में फल्ला (सिंधु जी कला की विधवा पुत्री) ने सहयोग किया इसलिए इसे फलौदी कहा गया।

नोट – संस्कृत शिलालेखों में फलौदी का नाम फल वृद्धिका मिलता है।

लटियाल माता मंदिर – (फलौदी जिला)

  • कल्ला ब्राह्मणों की कुल देवी, जिला फलौदी।
  • लटियाल माता का अन्य मंदिर लोद्रवा (जैसलमेर) में भी है।

 

बापिणी (जिला-फलौदी)

  • मेहाजी मांगलिया मंदिर [मेला – भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (जन्माष्टमी)]
  • घोड़े का नाम – किरड़ काबरा
  • मारवाड़ के पंचपीर – 1. रामदेव जी,2. हडबूजी, 3. मेहाजी मांगलिया, 4. पाबुजी, 5. गोगाजी
  • जन्माष्टमी के दिन निम्न का मेला भरता है।

1. श्री कृष्ण माथद्वारा (राजसमन्द)

2. जाम्भोजी- पुकाम तालवा (बीकानेर)

3. मेहाजी मांगलिया बापिणी (फलौदी)

4. नरहड़ के पीर – चिड़ावा (झुंझुनं) (शक्कर बाबा का उर्स)

 

पाबू जी राठौड़

  • जन्म – 1239 में, कोलूमण्ड गाँव (फलौदी)
  • मृत्यु – देबू गाँव (फलौदी)
  • उपनाम – कैंटों के देवता, हाड़-फाड़ के देवता, लक्ष्मण जी के अवतार, गौ रक्षक देवता, प्लेग रोग निवारक देवता।
  • पिता का नाम – धांधल जी राठौड़
  • माता का नाम – कमला दे
  • पत्नि का नाम – सुप्यार दे / फूलम दे (अमरकोट के शासक सुरजमल सिंह सोढ़ा की पुत्री)
  • घोड़ी का नाम – केसर कालमी
  • गुरु का नाम – 1. समरथ भारती 2. गोरखनाथ जी
  • पाबू जी का प्रधान मंदिर – कोलूमण्ड (फलौदी)
  • मेला – प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या। इस मंदिर में पाबूजी की अश्वरोही प्रतिमा है।
  • मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है।
  • सबसे लोकप्रिय फड़ पाबू जी की है।
  • पाबू जी की फड़ के वाचन में रावण हत्था वाद्य यंत्र का प्रयोग होता है।

नोट – पाबूजी मारवाड़ के राठौड़ों के आदिपुरुष राव सीहा के वंशज माने जाते हैं।

 

देचू (फलौदी जिला)

  • पाबूजी व उनके भाई बुढ़ो जी देवल चारणी की गायों की रक्षा करते हुए देचू ग्राम में शहीद हुए।

 

हडबूजी सांखला मंदिर (बेंगटी – फलौदी जिला)

  • मंदिर निर्माण – 1721 में, मारवाड़ शासक अजित सिंह राठौड़ द्वारा।
  • प्रधान मंदिर – बेंगटी (फलौदी)
  • मेला चैत्र व भाद्रपद महिने में।
  • जन्म – भेंडेल गाँव
  • पिता का नाम – मेहा जी सांखला
  • माता का नाम – सौभाग्य देवी
  • गुरु का नाम – योगी बालीनाथ जी (मसूरिक पहाड़ी – जोधपुर)
  • वाहन – सियार
  • उपनाम – शकुनशास्त्र के ज्ञाता, वचन सिद्ध पुरुष गो रक्षक देवता, वीर यौद्धा, संन्यासी पुरुष। नोट – हड़बू जी के मंदिर में छाकड़ा गाड़ी/बैल गाड़ी की पूजा की जाती है।
  • यह राव जोधा के समकालिन माने जाते हैं।
  • इन्होंने राव जोधा को आशीर्वाद स्वरूप कटार भेट की।
  • राव जोधा ने हड़बू जी के आशीर्वाद से मण्डोर जीता।
  • राव जोधा ने मण्डोर विजय के उपरान्त बेंगटी गाँव हड़बू जी को दिया।
  • हड़बू जी, रामदेवजी के मौसेरे भाई थे। हड़बू जो का वर्णन 24 वाणियाँ नामक ग्रन्थ में मिलता है।
  • हड़बू जी ने रामदेव जी के 8 दिन बाद समाधि ली।
  • कहावत – हड़बू जी सांखला हरदम बेंगटी गाँव माही।
  • दूजी देह म्हारी ही जाणो, म्हे हाँ मौसी जाया भाई।।
  • रूपनाथजी/झरड़ा जी – कोलूमण्ड (फलौदी) में इनका मंदिर है। इन्हें हिमाचल प्रदेश में बालकनाथ के रूप में पूजा जाता है।

 

करणी माता – जन्म (सुवापगाँव – फलौदी जिला)

  • चारणों की कुल देवी।
  • जन्म – विक्रम संवत 1440 में,
  • पिता का नाम – मेहा जी
  • माता का नाम – देवल बाई
  • मूल नाम – रिद्धी बाई।
  • इनका जन्म चारणों की कीनिया शाखा में हुआ।
  • इनका विवाह देपा जी बितृ के साथ हुआ।
  • वोट करणी माता ने दियात्रा गाँव (बीकानेर) भरेक की तलाई में रामनवमी के दिन प्राण त्याग दिए।
  • करणी माता ने मेहरानगढ़ दुर्ग की नींव रखी थी।
  • उपनाम -1. चूहों वाली देवी (काबा – सफेद चूहे) 2. दाढ़ी वाली डोकरी।

नोट- करणी माता बीकानेर के राठौडों की आराध्य देवी हैं।

 

करणी माता मंदिर

  • देशनोक (बीकानेर)
  • मंदिर का निर्माण – राव बीका द्वारा (मंदिर का वर्तमान स्वरूप – महाराजा गंगासिंह)
  • करणी माता का मेला – देशनोक (बीकानेर)। वर्ष में दो बार मेला भरता है।                                         1. चैत्र नवरात्रे 2. अश्विन नवरात्रे
  • करणी माता के मेला को चेवणी चेरी या सेवकों का मेला कहा जाता है।
  • देशनोक मंदिर में सावन-भादो कढ़ाईयाँ है।

 

फलौदी दुर्ग (फलौदी जिला)

  • थाली नृत्य (फलौदी जिला) – पाबुजी के भक्तों द्वारा किया जाता है।
  • जाम्भा गाँव (बाप तहसील) – जाम्भो जी का प्रमुख धार्मिक स्थल ।

नोट – राज्य का पहला कोयला संयत्र बाप (फलौदी) में स्थापित हुआ था।

फलौदी की प्रमुख हवेलियाँ

  • लाल चन्द ढढा की हवेली
  • सांगीदास थानवी हवेली
  • फूलचन्द गोलछा हवेली
  • मोलीलाल अमरचन्द कोछर हवेली

 

मेजर शैतान सिंह भाटी (बाणसुर के शहीद)

  • जन्म 1 दिसम्बर 1924 (फलौदी जिला)
  • मृत्यु 18 नवम्बर 1962
  • 1962 के भारत चीन युद्ध में इनकी मृत्युपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

 

मारवाड़

  • प्राचीन काल में इस भूभाग को मरूदेश भी कहते थे।
  • मारवाड़ क्षेत्र में निम्न जिले आते हैं –
  • 1. जोधपुर ग्रामीण
  • 2. जोधपुर शहर
  • 3. फलौदी
  • 4. बाड़मेर
  • 5. बालोतरा
  • 6. नागौर
  • 7. सांचौर
  • 8. जालौर
  • 9. पाली

 

लौहावट का युद्ध

  • 1563 (लौहावट- फलौदी जिला)
  • राव चन्द्रसेन राठौड़ व उनके छोटे भाई उदयसिंह के मध्य।

नोट – राव चन्द्रसेन का भाई मोटाराजा उदयसिंह मारवाड़ का पहला शासक था, जिसने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर उनसे वैवाहिक संबंध स्थापित किए।

 

सेतरावा (फलौदी)

  • यहाँ पत्थर की सैकड़ों खाने हैं। यहाँ पर निकलने वाली पत्थर की पट्टियों को स्थानीय भाषा में छीण कहा जाता है।
  • लॉर्डिया गाँव (फलौदी जिला) यह गाँव रेगिस्तान के मार्च के कारण रेत के समुद्र में डूबता जा रहा है। इसे ‘न्यू अमेरिका’ कहा जाता है।

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