राजस्थान के निरस्त जिलों पर बड़ा अपडेट: जानें नए फैसले और उनका असर राजस्थान में हाल ही में राज्य सरकार द्वारा लिए गए एक बड़े फैसले के तहत, कुछ नए जिलों और संभागों को निरस्त कर दिया गया है। इस फैसले ने प्रशासनिक ढांचे में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इस आदेश और इसके प्रभाव के बारे में।
राजस्थान सरकार का निर्णय: निरस्त जिलों की सूची
राज्य सरकार ने अशोक गहलोत सरकार के समय बनाए गए 9 नए जिलों को निरस्त करने का फैसला किया है। इसके तहत निम्न जिलों को मूल जिलों में शामिल किया गया है:
- शाहपुरा
- सांचौर
- नीम का थाना
- केकड़ी
- गंगापुर सिटी
- दूदू
- अनूपगढ़
- जोधपुर ग्रामीण
- जयपुर ग्रामीण
इस निर्णय के बाद, अब राजस्थान में कुल जिलों की संख्या घटकर 41 रह गई है।
निरस्त संभागों की सूची
इसके अलावा, सीकर, पाली और बांसवाड़ा संभागों को भी निरस्त कर दिया गया है। इस फैसले के बाद अब राजस्थान में केवल 7 संभाग ही बचे हैं।
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खाद्य विभाग को दिए गए निर्देश
अतिरिक्त खाद्य आयुक्त पूनम प्रसाद सागर ने इन निरस्त जिलों से संबंधित जिला रसद अधिकारियों (DSO), प्रवर्तन अधिकारियों (EO) और प्रवर्तन निरीक्षकों के लिए एक बड़ा आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार:
- इन अधिकारियों को खाद्य विभाग के मुख्यालय में उपस्थित रहना होगा।
- यह निर्देश राजस्व विभाग की सूचना के आधार पर दिया गया है।
- जब तक इन अधिकारियों के लिए नए स्थान पर पोस्टिंग के आदेश जारी नहीं होते, वे मुख्यालय पर अपनी सेवाएं देंगे।
कैबिनेट बैठक का निर्णय: साल के अंत में लिया बड़ा फैसला
यह निर्णय 28 दिसंबर 2024 को भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक में लिया गया था। यह कदम राजस्थान में प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक कुशल बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
यह फैसला अशोक गहलोत सरकार के समय लिए गए निर्णयों को पलटने जैसा है। नए जिलों और संभागों को निरस्त करने का यह निर्णय राजस्थान में राजनीति का नया अध्याय खोलता है।
इस फैसले का प्रभाव
प्रशासनिक ढांचे में बदलाव:
- जिला और संभाग स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती में बदलाव आएगा।
- संबंधित अधिकारियों को नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार रहना होगा।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- इन जिलों और संभागों में रह रहे नागरिकों को पुराने ढांचे के अनुसार सेवाएं मिलेंगी।
- स्थानीय विकास कार्यों और योजनाओं पर इसका असर पड़ सकता है।
भविष्य की राह
राज्य सरकार ने यह फैसला प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी और सरल बनाने के लिए लिया है। लेकिन इस निर्णय के राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों पर चर्चा जारी है।